फौजी पिता की चीख सुन न सका सिस्टम: पांच घंटे में पांच अस्पताल, इलाज नहीं मिला, डेढ़ साल के बेटे की मौत
उत्तराखंड। उत्तराखंड के चमोली निवासी और जम्मू-कश्मीर में तैनात सैनिक दिनेश चंद्र के डेढ़ साल के बेटे शुभांशु जोशी की तबीयत अचानक बिगड़ गई। मां और पत्नी उसे ग्वालदम अस्पताल लेकर गईं, लेकिन इलाज नहीं मिल सका। वहां से बैजनाथ, फिर बागेश्वर, फिर हल्द्वानी के लिए रेफर किया गया, पर हर जगह इलाज की बजाय सिर्फ रेफर मिलते रहे।
बच्चे को शाम छह बजे बागेश्वर अस्पताल में भर्ती किया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उसे भी हल्द्वानी रेफर कर दिया। एंबुलेंस के लिए कॉल करने पर कोई मदद नहीं मिली। मजबूर पिता ने जिलाधिकारी को फोन किया, तब जाकर रात साढ़े नौ बजे एंबुलेंस मिली, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। अल्मोड़ा से हल्द्वानी ले जाते समय शुभांशु की मौत हो गई।
घटना के बाद दिनेश चंद्र ने सोशल मीडिया पर एक भावुक वीडियो साझा कर सिस्टम पर गंभीर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, “मैं सरहद पर देश के लिए खड़ा हूं, लेकिन सिस्टम ने मेरे बेटे को मुझसे छीन लिया।”
उठते सवाल:
- क्या पांच अस्पतालों में एक भी जगह प्राथमिक इलाज संभव नहीं था?
- एंबुलेंस की अनुपलब्धता का जिम्मेदार कौन?
- इमरजेंसी में लापरवाही और संवेदनहीन व्यवहार पर जवाबदेही कौन तय करेगा?
- जिलाधिकारी के फोन पर ही अगर सेवा मिलती है, तो आम नागरिकों का क्या?
प्रशासन का जवाब:
- सीएमएस डॉ. तपन कुमार शर्मा ने कहा, “शिकायती पत्र मिलने पर जांच कर दोषियों पर कार्रवाई होगी। 108 सेवा हमारे अधीन नहीं है, लेकिन हमारे वाहन अलर्ट मोड पर हैं।”
- 108 सेवा प्रभारी को नोटिस भेजा गया है और सेवा दुरुस्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
यह मामला उत्तराखंड के स्वास्थ्य तंत्र की गंभीर विफलता को उजागर करता है — जहां इलाज से ज़्यादा रेफर मिलते हैं, और ज़िंदगी समय पर एक एंबुलेंस न मिलने से हार जाती है।
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