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भोले की भक्ति के अनोखे रंग: कोई नोटों की कांवड़ लाए तो किसी को मोदी-योगी भाए, अब तक 27 लाख से ज्यादा ने भरा जल

भोले की भक्ति के अनोखे रंग: कोई नोटों की कांवड़ लाए तो किसी को मोदी-योगी भाए, अब तक 27 लाख से ज्यादा ने भरा जल

हरिद्वार/ रुड़की। धर्मनगरी में कांवड़ मेले में लगातार लाखों शिवभक्त गंगाजल भरकर रवाना हो रहे हैं। चौथे दिन हरिद्वार से 15 लाख कांवड़ यात्रियों ने गंगाजल भरा और अपने गंतव्यों की तरफ रवाना हो गए। अब तक चार दिन के अंदर 27 लाख 40 हजार कांवड़ यात्री गंगाजल भरकर रवाना हो चुके हैं। नौ कांवड़ियों को गंगा में डूबने से बचाया गया।

एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने बताया कि पहले दिन 2.40 लाख और दूसरे दिन चार लाख कांवड़िए पहुंचे थे। तीसरे दिन छह लाख कांवड़ यात्री हरिद्वार से गंगाजल भरकर रवाना हुए थे। बृहस्पतिवार को शाम छह बजे तक 15 लाख शिवभक्त गंगाजल भरकर रवाना हो गए। अब तक 27 लाख 40 हजार कांवड़ यात्री पहुंच चुके हैं। जिले में 60371 छोटे-बड़े वाहनों ने प्रवेश किया है।

अलग-अलग गंगा घाटों से गंगा में डूबने से नौ कांवड़ यात्रियों को एसडीआरएफ व जल पुलिस की टीम ने बचाया है। कांवड़ यात्रा में इस बार दिल्ली के कुल 10 लोगों ने नोटाें की कांवड़ बनाकर सभी का ध्यान अपनी ओर खींचा है। पिछले चार वर्ष से कांवड़ लेने आ रहे इस समूह के सदस्यों का कहना है कि हर वर्ष वह अलग-अलग रंग और स्वरूप के साथ कांवड़ लेने आते हैं।

नरेंद्र मोदी के तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने की मन्नत पूरी होने पर मेरठ के महादेव सेक्टर निवासी अरुण कुमार ने कांवड़ उठाई। अरुण कुमार ने बताया कि उसने नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने की मन्नत भगवान भोलेनाथ से मांगी थी, जो पूरी हुई।

60 वर्षीय महिला का अडिग अनुष्ठान भी सामने आया। नोएडा की रहने वाली सावित्री का कहना है कि यह उनका 32वां कांवड़ है। उनका कहना है कि भगवान शिव की कृपा है कि उनके बड़े बेटे की दुर्घटना के बाद जान बची। वहीं से उन्होंने संकल्प लिया और अनवरत हर वर्ष इसे पूरा करने के लिए वह पैदल कांवड़ यात्रा लेने आती हैं।

सेवा संकल्प और अडिग अनुष्ठान के इस महापर्व में एक दिव्यांग के हौसले को भी लोग सलाम कर रहे हैं। अपने तीन पहिया वाहन से दिव्यांग उन तमाम कांवड यात्रियों के बीच हर-हर बम-बम की गूंज के साथ कदम ताल करते हुए हरिद्वार पहुंचा है। तीन पहिया वाहन में अपनी कांवड़ टांगे हरियाणा निवासी सुंदर पाल का कहना है कि हाथ और पैर से नहीं आस्था के इस महापर्व में इच्छा शक्ति से भक्त पहुंच रहे हैं।

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