पांच दशक से सेवा दे रहा उप डाकघर मुख्य डाकघर में शामिल करने की योजना पर विवाद
देहरादून : नेशविला रोड और राजपुर रोड क्षेत्र में लंबे समय से संचालित उप डाकघर न सिर्फ स्थानीय लोगों के लिए सुविधा का केंद्र रहा है, बल्कि यह कई मोहल्लों और हजारों खाताधारकों की आर्थिक और सामाजिक जरूरतों का अहम हिस्सा भी बन गया है। यहां नियमित रूप से बचत खाते, सावधि जमा और आवर्ती खातों से जुड़े लेन-देन होते हैं, जिनका संचालन दशकों से निरंतर जारी है। स्थानीय लोगों की शिकायत है कि करीब पांच दशक से इस उप डाकघर को मुख्य डाकघर से संबद्ध करने की योजना बनाई जा रही है।
यदि यह कदम वास्तव में लागू हुआ, तो क्षेत्र के बुजुर्ग और वरिष्ठ नागरिकों को अपने खातों से संबंधित लेन-देन के लिए अब तीन किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करनी पड़ेगी। इसमें घंटों की लाइन में इंतजार करना और दैनिक कार्यों में व्यवधान जैसे कई मुद्दे उत्पन्न हो सकते हैं। बुजुर्ग और उम्रदराज खाताधारक विशेष रूप से इस बदलाव से प्रभावित होंगे, क्योंकि उनके लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा करना और लंबी दूरी तय करना मुश्किल हो सकता है।
स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि जिस आवासीय परिसर में वर्तमान उप डाकघर संचालित है, उसके स्वामी कभी भी परिसर खाली कराने की स्थिति पैदा कर सकते हैं। हालांकि, क्षेत्र में अन्य लोग अपने परिसरों को डाक विभाग को सौंपने के लिए तैयार हैं, जिससे उप डाकघर को वर्तमान क्षेत्र में बनाए रखना संभव हो सकता है। इससे न सिर्फ बुजुर्ग खाताधारकों की सुविधा बनी रहेगी, बल्कि क्षेत्रवासियों के दैनिक जीवन में अनावश्यक परेशानियों से भी बचाव होगा।
इस मुद्दे को लेकर क्षेत्रवासियों ने पोस्टमास्टर जनरल, देहरादून को प्रार्थना पत्र सौंपा है। प्रार्थना पत्र में उन्होंने प्रशासन से अनुरोध किया है कि निर्णय लेते समय स्थानीय जनभावना और लोगों की सुविधा का पूरा ध्यान रखा जाए। उन्होंने कहा कि प्रशासनिक बदलाव केवल प्रक्रियात्मक नहीं होने चाहिए, बल्कि स्थानीय लोगों की वास्तविक समस्याओं और जरूरतों को भी प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
क्षेत्रवासियों की यह चिंता केवल सुविधा तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। उप डाकघर न केवल खाताधारकों के लेन-देन का केंद्र है, बल्कि यह इलाके में सामाजिक संपर्क और सहायता का भी महत्वपूर्ण माध्यम रहा है। ऐसे में यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि प्रशासनिक निर्णय लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी पर नकारात्मक प्रभाव न डालें।
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