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40M तक मिले खून के धब्बे, तारों पर लटके थे मांस के लोथड़े, मंजर देख कांप गया कलेजा

40M तक मिले खून के धब्बे, तारों पर लटके थे मांस के लोथड़े, मंजर देख कांप गया कलेजा

कानपुर। कानपुर में सीसामऊ के व्यस्त क्षेत्र गणेशपार्क के पास हुए विस्फोट की आवाज एक किलोमीटर दूर तक सुनाई दी। घटनास्थल पर धुंआ ही धुंआ नजर आ रहा था। इससे लोग सहमे रहे। धमाके के बाद लोग त्योहार की तैयारियां छोड़कर बाहर निकल आए। बिजली के तारों पर लोथड़े देख लोगों का कलेजा कांप गया। इसके अलावा 40 मीटर दूरी तक खून के धब्बे और लोथड़े बिखरे नजर आ रहे थे। सुरेंद्र का एक हाथ उड़कर लगभग 10 मीटर दूर गणेश पार्क में गिरा। विस्फोट की दहशत देर रात तक दिखी। यहां के निवासियों ने पटाखे तक नहीं फोड़े। दीपावली का त्योहार सादगी के साथ मनाया।

यहां के निवासियों ने बताया कि गुरुवार सुबह सभी लोग त्योहार मनाने की तैयारी में लगे थे। कोई पूजन का सामान एकत्र कर रहा था तो कोई मिठाई, पटाखे खरीदने में व्यस्त था। अचानक तेज विस्फोट हुआ और रोशनी के त्योहार की खुशियां मातम में बदल गई। सुरेंद्र के बच्चों की चीत्कार सुनकर हर किसी का दिल दहल गया। मंजर इतना खौफनाक था कि मोहल्ले में रहने वाली महिलाएं और बच्चे दहशत में आ गए। राजेंद्र नाथ शुक्ला राजू ने बताया कि घर पर पूजा की तैयारी कर रहे थे तभी तेज विस्फोट हुआ। पता किया तो पूरे मामले की जानकारी हुई। आनन-फानन में कपड़े पहनकर मौके पर पहुंचे। वहां का मंजर देखकर सहम गए। बच्चों की चीख-पुकार और सड़क पर पड़े खून व मांस के लोथड़े देख कलेजा कांप गया।

सुरेंद्र के बगल में ही किराए पर रहने वाली नूतन ने बताया कि चारों बेटे बाजार गए थे। अचानक धमाका हुआ और हमारे कमरे में रखा शीशा चटक गया। धुएं में कुछ दिख नहीं रहा था। धुआं छटा तो नीचे आकर देखा। सुरेंद्र का शव टुकड़ों में पड़ा था और रमिला बहन खून से लथपथ तड़प रही थी। तुरंत बेटों को फोनकर बुलाया रमिला को मोहल्ले वालों की मदद से अस्पताल ले जाया गया। हम उसके बच्चों को संभाले रहे। क्षेत्र के पार्षद विवेक शर्मा ने बताया कि त्योहार की वजह से क्षेत्र में साफ-सफाई करा रहे थे। विस्फोट सुना तो पता करने लगे कि आखिर हुआ क्या। तभी क्षेत्र के मोनू ने फोनकर बताया कि साईं मंदिर के पास कुछ हुआ है। तुरंत वहां पहुंचे। वहां का वीभत्स दृश्य देख आंखें फटी रह गईं।

विस्फोट इतना तेज था कि सुरेंद्र का शव किरन के घर के दरवाजे के पास गिरा तो वहीं उनकी पत्नी रमिला इसके विपरीत दिशा में यानि सड़क के सामने पड़ी तड़प रही थी। धमाके से आसपास के मकान हिल गए। कुछ क्षणों तक इलाकाई लोगों को धुएं की वजह से कुछ देर तक कुछ भी न दिखाई दिया और न कुछ समझ में आ रहा था। सुरेंद्र दीपावली पर सिलिंडर लेकर घर पहुंचे थे। उनके पास मोपेड थी। पुलिस का दावा है कि सिलिंडर मोपेड पर रखा हुआ था। धमाके के बाद मोपेड पूरी तरह से जल गई है। फोरेंसिक टीम ने वहां से सबूत जुटाए।

हादसे के बाद सुरेंद्र के पास से करीब आठ हजार रुपये निकले जो आधे से ज्यादा जल गए थे। स्थानीय लोगों ने बताया कि रुपये गिर पड़े और जल रहे थे। कुछ लोगों ने लूटने की कोशिश भी की लेकिन वहां मौजूद महिलाओं ने उन्हें खदेड़ दिया। नजदीक स्थित पार्क के अंदर तक फोरेंसिक टीम को खून व मांस के लोथड़े मिले हैं। मोपेड और दोनों स्कूटी के पार्ट्स भी नाली में पड़े मिले। ग्राउंड फ्लोर पर रहने वाली किरन वर्मा ने बताया कि वे कुछ देर पहले घटनास्थल पर बैठी बर्तन धो रही थीं। धमाके के चंद मिनट पहले ही अंदर गई थीं। नालियों में बहता खून हादसे की भयावता को बयां कर रहा था। उ़ड़ गए।

गांधी नगर में हुए विस्फोट को भले ही पुलिस अधिकारी सिलिंडर का फटना बता रहे हो, लेकिन न तो घटनास्थ्ल पर उसके कोई अवशेष ही मिले न ही एलपीजी की कोई गंध ही लोगों को लगी। वहीं, घटनास्थल से 15 मीटर की दूरी पर बारूद की गंध लोगों को जरूर महसूस हुई। यहीं पर देशी पटाखे जैसे दइमार व फुलझड़ी आदि मिले हैं। पटाखों की अवशेषों को फोरेंसिक टीम ने जांच के लिए लिया है। जानकारों का कहना है कि एलपीजी जल्दी वातावरण में नहीं मिलती है। फिर यदि विस्फोट सिलिंडर का होता तो उसके अवशेष जरूर मिलते, लेकिन घटनास्थल पर अवशेष तो दूर कोई साबूत सिलेंडर भी नहीं मिला। ऐसे में पुलिस किस जांच और तथ्यों के आधार पर विस्फोट को एलपीजी सिलिंडर का फटना बता रही है, इलाकाई लोगों की भी समझ से परे है।

इलाकाई लोगों में चर्चा रही कि विस्फोट सिलिंडर का नहीं बल्कि देसी पटाखों का था। सुरेंद्र हर साल की तरह इस बार भी दिवाली पर बिक्री के लिए उन्नाव से देसी पटाखों की बोरी लेकर आया था। मोपेड से बोरी उतारते वक्त ही अचानक विस्फोट हो गया। अनुमान के है कि बोरी में रखे बम बेहद शक्तिशाली थे, जिसकी वजह से इतना जोरदार विस्फोट हुआ कि उसके शरीर के चीथड़े उड़ गए।

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