केदारनाथ आपदा: 12 साल बाद भी 702 डीएनए नमूने अपनों की पहचान को तरस रहे, रहस्य बनी हुई मौतें
देहरादून । सदी की सबसे भयानक त्रासदियों में से एक केदारनाथ आपदा को 12 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब भी 702 मृतकों की पहचान रहस्य बनी हुई है। इन सभी के डीएनए नमूने पुलिस के पास मौजूद हैं, पर किसी परिजन से उनका मिलान नहीं हो पाया।
2013 की इस त्रासदी के बाद केदारघाटी और आसपास के इलाकों से पुलिस ने 735 शवों, कंकालों और अवशेषों के डीएनए सैंपल लेकर बेंगलुरु की लैब में भेजे थे। वहीं, 6000 से अधिक लापता लोगों के परिजनों ने भी डीएनए नमूने जांच के लिए दिए। लेकिन इन प्रयासों के बावजूद केवल 33 मामलों में ही मृतकों की पहचान संभव हो सकी।
आपदा का भयावह आंकड़ा:
- तारीख: 15–16 जून 2013
- सरकारी आंकड़ों के अनुसार मृतक/लापता: 4400
- स्थानीय मृतक: 991
- बरामद नरकंकाल: 55
- मवेशी मृत: 11,000+
- पुलिस द्वारा रेस्क्यू: 30,000+
- सेना व अर्द्धसैनिक बलों द्वारा रेस्क्यू: 90,000+
पुलिस और राहत दलों ने वर्षों तक सर्च ऑपरेशन चलाया। सैकड़ों शवों का अंतिम संस्कार पुलिस द्वारा कराया गया। लेकिन 702 डीएनए सैंपल आज भी बिना पहचान के लैब और रिकॉर्ड में दर्ज हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं मिला।
स्थिति चिंताजनक:
ये 702 मृतक आज भी आंकड़ों में दर्ज हैं, लेकिन किसी की नजरों में नहीं। कई परिवार अब तक उम्मीद में हैं कि शायद कोई सुराग मिल जाए। वहीं सवाल यह भी उठते हैं कि इतने प्रयासों के बाद भी अगर पहचान नहीं हो पाई, तो क्या कहीं सिस्टम की कोई खामी है?
अब यह इंतजार एक भावनात्मक और मानवीय पीड़ा का प्रतीक बन चुका है — जो इस आपदा की गहराई को और भी ज्यादा मार्मिक बना देता है।
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