55 साल पुरानी मस्जिद को लेकर कैसे शुरू हुआ विवाद? जानें घटना के पांच बड़े अपडेट
उत्तरकाशी। शहर में मस्जिद को लेकर विवाद की शुरूआत दो माह पूर्व उस समय हुई, जब एक समुदाय के धार्मिक संगठन ने करीब 2 नाली जमीन पर बनी मस्जिद को अवैध बताते हुए मोर्चा खोला। गत माह 6 सितंबर को इस संगठन ने शहर में अवैध मीट की दुकानों के खिलाफ जुलूस प्रदर्शन किया, लेकिन उसमें भी मस्जिद के खिलाफ नारेबाजी हुई। उसी दिन मस्जिद के खिलाफ अक्तूबर माह में जनाक्रोश रैली का कार्यक्रम तय कर दिया गया था।
वरुणावत पर्वत की तलहटी में बसे उत्तरकाशी शहर के बाड़ाहाट क्षेत्र में मस्जिद का निर्माण वर्ष 1969 में हुआ था। इसके लिए करीब 4 नाली और 15 मुठ्ठी भूमि एक समुदाय के व्यक्ति ने दूसरे समुदाय के सात लोगों को बेची थी, बाद में वर्ष 2005 में इस मस्जिद की जमीन का दाखिला खारिज किया गया। लेकिन गत सितंबर माह में इस मस्जिद को लेकर विवाद शुरू हुआ। एक समुदाय के धार्मिक संगठन ने मस्जिद को अवैध बताते हुए जिला प्रशासन से इस संबंध में सूचनाधिकार में जानकारी मांगी।
जिला प्रशासन से आरटीआई में मिली जानकारी में संगठन ने इसे अवैध बताना शुरू कर दिया। हालांकि बाद में जिला प्रशासन ने अधूरी जानकारी देने की बात कहते हुए पूरी जानकारी देने की बात कही। इस बीच दूसरे समुदाय के लोगों ने भी मस्जिद के संबंध में जमीन से जुड़े दस्तावेज जिला प्रशासन को सौंपे। इसके बाद कुछ समय तक विवाद शांत हो गया था। फिर अक्तूबर में प्रस्तावित जनाक्रोश रैली का समय निकट आते हुए यह विवाद बढ़ने लगा.
जिसके बाद गत 21 अक्तूबर को जिला प्रशासन ने दोबारा एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर मस्जिद को सरकारी भूमि पर अवैध रूप से बने होने की भ्रामक जानकारी प्रसारित करने को लेकर स्थिति स्पष्ट की। प्रशासन का कहना था कि ये मस्जिद सरकारी भूमि नहीं, बल्कि निजी जमीन पर निर्मित है। जो कि उत्तरप्रदेश सरकार के मुस्लिम वक्फ विभाग के सरकारी गजट में भी अनुसूचित है, लेकिन विरोध कर रहे संगठन ने इसे मानने से इंकार कर दिया।
विवाद से जुड़े पांच बड़े अपडेट
- उत्तरकाशी में बवाल के बाद पूरे जनपद में धारा 163 लागू की गई।
- पथराव और लाठीचार्ज की घटना के बाद अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया।
- बवाल पर 208 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। इनमें आठ नामजद, 200 अज्ञात शामिल हैं।
- आज दूसरे दिन भी जिला मुख्याल से यमुनाघाटी तक बाजार बंद रहे।
- एक समुदाय के धार्मिक संगठन ने चार नवंबर को महापंचायत बुलाई है।
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