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सीआइएसएफ की तर्ज पर होगा एसआइएसएफ का गठन

सीआइएसएफ की तर्ज पर होगा एसआइएसएफ का गठन

देहरादून। उत्तराखंड में केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) की तर्ज पर जल्द ही राज्य औद्योगिक सुरक्षा बल (एसआइएसएफ) का गठन होने जा रहा है। शासन स्तर पर इस प्रस्ताव पर कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है। एसआइएसएफ में होमगार्ड जवानों को शामिल किया जाएगा। पहले चरण में प्रदेश के हेलीपैड और हेलीपोर्टों की सुरक्षा में होमगार्ड जवान तैनात किए जाएंगे।

इसके अलावा बीमार कैदियों को जेल से अस्पताल लाने-ले जाने में भी ये जवान सेवाएं दे सकते हैं। पहले एसआइएसएफ में पुलिस विभाग के कर्मियों को प्रतिनियुक्ति पर शामिल करने का विचार किया जा रहा था, लेकिन हाल ही में शासन स्तर पर हुई बैठक में अब यह निर्णय लिया गया है कि एसआइएसएफ में होमगार्ड के जवानों व भूतपूर्व सैनिकों को नियुक्त किया जाएगा।

पहले चरण में प्रदेश के तमाम हेलीपैड और हेलीपोर्टों पर 63 होमगार्ड जवानों की तैनाती की जाएगी। विशेष सचिव गृह रिधिम अग्रवाल की ओर से कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश जारी किए गए हैं। अपर सचिव नागरिक उड्डयन विभाग की ओर से प्रदेश में हेलीपैड व हेलीपोर्टों की सुरक्षा के लिए 63 सुरक्षाकर्मियों की प्राथमिकता के आधार पर व कुल 162 सुरक्षा गार्डों की आवश्यकता बताई गई है।

होमगार्ड विभाग की ओर से बताया गया है कि विभाग में पर्याप्त प्रशिक्षित होमगार्ड जवान हैं। इस पर विचार-विमर्श करने के बाद अपर मुख्य सचिव ने नागरिक उड्डयन विभाग को निर्देश जारी किए हैं कि कार्मिकों के लिए अपने विभाग में बजट का प्रविधान कर लिया जाए व नागरिक उड्डयन विभाग एवं होमगार्ड विभाग आपस में समन्वय स्थापित करते हुए कार्ययोजना तैयार करे।

कारागार विभाग की ओर से बीमार व घायल कैदियों को अस्पताल ले जाने के लिए 80 पुलिसकर्मियों की मांग की गई है। इस पर निर्णय लिया गया है कि इन कार्मिकों की व्यवस्था अस्थायी रूप से पुलिस व होमगार्ड विभाग की ओर से की जा सकती है। ऐसे में पुलिस व होमगार्ड कार्मिकों को शीर्ष प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराने के आदेश जारी किए गए हैं।

होमगार्ड जवानों का एसआइएसएफ में शामिल करने के आदेश के बाद होमगार्ड विभाग ने जवानों का चिह्नीकरण शुरू कर दिया है। इसमें उन जवानों को शामिल किया जाएगा, जिन्होंने पिस्टल व अन्य प्रशिक्षण लिया है। बता दें कि होमगार्ड जवानों की तैनाती एसआइएसएफ में होने के चलते विभाग की ओर से कुछ समय पहले ही जवानों को पिस्टल का प्रशिक्षण दिया था।

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