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शौक पूरे न होने पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने रची खुद के अपहरण की साजिश, पिता से मांगे 50 लाख

शौक पूरे न होने पर सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने रची खुद के अपहरण की साजिश, पिता से मांगे 50 लाख

नोएडा। कमाई से जब शौक पूरे नहीं हुए तो टाटा कंसल्टेंसी के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने अपने ही अपहरण की साजिश रच दी। आरोपी रेवाड़ी में दोस्तों के साथ एक होटल में कमरा लेकर रुक गया और ग्वालियर निवासी पिता से फिरौती के लिए कॉल पर 50 लाख रुपये मांगने लगा। इस मामले का खुलासा करते हुए एक्सप्रेसवे थाने की पुलिस ने सॉफ्टवेयर इंजीनियर शुभम गौड़ और आर्मी के जवान अंकित समेत तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जबकि फरार दो आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दो टीमें गठित की गईं हैं।

पुलिस के अनुसार, 10 सितंबर को आरोपी शुभम गौड़ के लापता होने पर पिता ने एक्सप्रेसवे थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई थी। दो दिन बाद शुभम के नंबर से ही परिजनों के पास कॉल आई और बताया गया कि मेवात गिरोह ने उसे अगवा किया है। शुभम को छोड़ने के एवज में 50 लाख रुपये देने होंगे। पिता ने जब इतनी रकम न होने की बात कही तो फिरौती को लेकर सौदेबाजी शुरू हो गई। यह सारी जानकारी परिजन लगातार पुलिस को देते रहे।

अपहरण की रकम पर बार-बार सौदेबाजी होने पर पुलिस को शक हुआ। लाखों की मांग कुछ ही देर में 15 हजार रुपये पर आकर टिक गई। पुलिस ने शुभम के मोबाइल को जब ट्रैक किया तो लोकेशन रेवाड़ी की निकली। इसके बाद मंगलवार को तीनों को दबोच लिया गया। शुरुआती दौर में पुलिस को गांजा ले जाने के बहाने बंधक बनाने की बात कही गई।

पुलिस का कहना है कि शुभम ने ग्वालियर निवासी दोस्त ऊधो के साथ मिलकर साजिश रची। इसमें ऊधो के दोस्त अंकित कुमार, संदीप, दीपक ने भी साथ दिया। 10 सितंबर को अंकित ने कॉल कर शुभम को नंगली पेट्रोल पंप के पास बुलाया। यहां से एक किराये की ब्रेजा से सभी दिल्ली होते हुए रेवाड़ी पहुंच। यहां शुभम के मोबाइल से मां को फोन करके पहले धमकी दी गई। फिर फिरौती मांगी गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस, इंटेलिजेंस और मुखबीर तंत्र को सक्रिय किया गया। बीच-बीच में शुभम के मोबाइल से एक अन्य व्यक्ति से भी बात हो रही थी। पुलिस कड़ी से कड़ी जोड़ते हुए रेवाड़ी पहुंच गई और शुभम, संदीप और अंकित कुमार को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस का कहना है कि शुभम को नशे और डेटिंग का शौक है। उसे हमेशा पैसों की जरूरत रहती थी। परिवार वाले पैसे नहीं देते थे। वह नोएडा में 25 हजार रुपये की नौकरी करता था। ऐसे में पैसे नहीं मिलने पर महंगे शौक पूरे नहीं कर पा रहा था। उसने जिन साथियों को चुना उन्हें भी पैसों की जरूरत थी। अंकित की बहन की शादी फरवरी में हुई थी। उस पर काफी कर्ज था। संदीप, दीपक, ऊधो को भी पैसों की जरूरत थी।

पिता का केबल नेटवर्क का है काम : संदीप और अंकित हरियाणा के सिलारपुर गांव के रहने वाले हैं। शुभम के पिता का केबल नेटवर्क का कारोबार है। चाचा के कई रेस्तरां हैं और दादा रजिस्ट्रार के पद से रिटायर्ड हुए हैं। शुभम घर में इकलौता बेटा है। वहीं, अंकित आर्मी का जवान है। उसकी तैनाती कुपवाड़ा में थी और कुछ समय पहले उसका ट्रांसफर अजमेर के लिए हो गया था। इस बीच उसने वारदात अंजाम दे दी। वह 2018 में आर्मी में भर्ती हुआ और नासिक और बंगाल में भी उसकी तैनाती रही है।

शुरुआत में पिता ने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं तो आरोपियों ने हाईवे किनारे वाली जमीन बेचकर रकम देने या भाई से उधार लेने की बात कही। इतनी गोपनीय बातों की जानकारी बदमाशों तक पहुंचने की बात सोचकर पिता का माथा ठनका और समझ में आ गया कि कोई करीबी घटना में शामिल है।

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