डर में डूबा कोडारना: लाखों मक्खियों से ग्रामीणों का जीना हुआ दूभर, बीमारी फैलने का खतरा
ऋषिकेश। नरेंद्रनगर तहसील के कोडारना गांव में इन दिनों ग्रामीणों का जीवन मक्खियों के आतंक से अस्त-व्यस्त हो गया है। आम मक्खियों से आकार में बड़ी, अजीब तरह की ये मक्खियां झुंड के रूप में लोगों के ऊपर बैठ रही हैं, खाने-पीने के सामान, कपड़ों और शरीर से चिपक रही हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि लोग कोडारना जाने से भी कतराने लगे हैं।
ग्रामीण नीला देवी, विमला देवी ने बताया कि लाखों की संख्या में फैली इन मक्खियों ने घर से लेकर खेत तक जीवन मुश्किल कर दिया है। खेतों में काम करते समय भी ये मक्खियां शरीर से चिपक जाती हैं और कपड़े सुखाने पर सैकड़ों मक्खियां उन पर बैठ जाती हैं, जिससे साफ कपड़े भी पहनने लायक नहीं बचते।
ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि मक्खियों के आने की वजह कोडारना के पास छह महीने से संचालित बॉयोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट हो सकता है। स्थानीय निवासी हिमांशु भट्ट और राजेश नेगी ने बताया कि इस प्लांट में अस्पतालों का जैविक कचरा और मानव अंग लाए जाते हैं, जिसका ग्रामीण लंबे समय से विरोध कर रहे हैं।
हालांकि, प्लांट संचालक अभिषेक शर्मा ने इन आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि वेस्ट को 1800 डिग्री सेल्सियस पर जलाया जाता है और हर दिन सफाई की जाती है। उनका कहना है कि मक्खियों के आने की वजह जंगल में पड़े मरे जानवर हो सकते हैं।
स्थानीय प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चिंता:
- अयोध्या प्रसाद उनियाल, तहसीलदार नरेंद्रनगर ने कहा कि मक्खियों की समस्या गंभीर है और संबंधित विभागों को निर्देश देकर जल्द ही दवा छिड़काव व अन्य उपाय किए जाएंगे।
- डॉ. केएस भंडारी, चिकित्साधीक्षक, सीएचसी डोईवाला ने बताया कि मेडिकल कचरे के गलत निस्तारण से गंभीर बीमारियां फैल सकती हैं। इस पर सरकार की सख्त गाइडलाइंस हैं।
स्वास्थ्य संकट की आशंका:
कोडारना और आसपास के गांवों — बडोगल, कौडसी — में हवा, पानी और मिट्टी के प्रदूषित होने की आशंका जताई जा रही है। यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया तो यह मामला एक बड़े स्वास्थ्य संकट का रूप ले सकता है।
प्रशासन से ग्रामीणों की मांग है कि मक्खियों के प्रकोप से निजात दिलाने के लिए तत्काल प्रभावी कार्रवाई की जाए और जैविक कचरे के निस्तारण की निष्पक्ष जांच कराई जाए।
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